श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  4.6.17 
पनसोदुम्बराश्वत्थप्लक्षन्यग्रोधहिङ्गुभि: ।
भूर्जैरोषधिभि: पूगै राजपूगैश्च जम्बुभि: ॥ १७ ॥
 
शब्दार्थ
पनस-उदुम्बर-अश्वत्थ-प्लक्ष-न्यग्रोध-हिङ्गुभि:—पनस (कटहल), उदुम्बर, अश्वत्थ, प्लक्ष, न्यग्रोध तथा हींग उत्पन्न करने वाले वृक्ष; भूर्जै:—भोजपत्र से; ओषधिभि:—सुपारी वृक्षों से; पूगै:—पूग से; राजपूगै:—राजपूगों से; च—तथा; जम्बुभि:—जामुन से ।.
 
अनुवाद
 
 कैलास पर्वत जिन अन्य वृक्षों से सुशोभित है वे हैं कट अर्थात् कटहल, गूलर, बरगद, पाकड़, न्यग्रोध तथा हींग उत्पादक वृक्ष। इसके अतिरिक्त सुपारी, भोजपत्र, राजपूग, जामुन तथा इसी प्रकार के अन्य वृक्ष हैं।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥