उस नैसर्गिक वन में अनेक पक्षी थे जिनकी गर्दन लाल रंग की थीं और उनका कलरव भौंरों के गुंजार से मिल रहा था। वहाँ के सरोवर शब्द करते हंसों के समूहों तथा लम्बे नाल वाले कमल पुष्पों से सुशोभित थे।
तात्पर्य
सरोवरों के कारण वन की शोभा में चार चाँद लग रहे थे। यहाँ यह बताया गया है कि सरोवर कमलपुष्पों तथा हंसों से सुशोभित थे। ये हंस क्रीड़ा कर रहे थे और पक्षियों तथा गुंजरित भौंरों के साथ-साथ गा रहे थे। इन सब विशेषताओं से यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वह स्थान कितना रमणीक था और वहाँ से निकलने वाले देवता उस वातावरण में कितना सुख अनुभव कर रहे थे। इस पृथ्वीलोक में मनुष्यों ने अनेक मार्ग तथा सुन्दर स्थल निर्मित किये हैं, किन्तु उनमें से कोई भी कैलास के स्थलों से बढक़र नहीं होगा, जैसाकि इन श्लोकों में वर्णित है।
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