हे भगवान्, आप अपने व्यक्तिगत विस्तार से इस दृश्य जगत की सृष्टि, पालन तथा संहार उसी प्रकार करते हैं जिस प्रकार मकड़ी अपना जाला बनाती है, बनाये रखती हैं और फिर अन्त कर देती है।
तात्पर्य
इस श्लोक में शिव-शक्ति शब्द महत्त्वपूर्ण है। शिव का अर्थ है शुभ और शक्ति का अर्थ है शक्ति। भगवान् की कई प्रकार की शक्तियाँ होती हैं और सभी शुभ हैं। बह्मा, विष्णु तथा महेश्वर गुण-अवतार कहलाते हैं। इस भौतिक जगत में हम इन तीनों अवतारों की तुलना विभिन्न दृष्टियों से करते हैं, किन्तु वे एक ही परम मंगल के विस्तार होने से सभी शुभ हैं यद्यपि कभी-कभी हम एक गुण को दूसरे से बढक़र या छोटा मानते हैं। तमोगुण अन्यों से निम्न माना जाता है, किन्तु उच्च धरातल पर यह भी शुभ है। उदाहरणार्थ, सरकार में शिक्षा विभाग तथा अपराध विभाग दोनों होते हैं। कोई भी बाहरी व्यक्ति अपराध विभाग को अशुभ मान सकता है, किन्तु सरकारी दृष्टिकोण से यह विभाग शिक्षा विभाग की ही तरह महत्त्वपूर्ण है, इसीलिए सरकार बिना भेदभाव के दोनों विभागों में समान रूप से वित्तपोषण करती है।
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