मेरे बालक, तुम्हें पता नहीं कि तुम मेरी कोख से नहीं, वरन् दूसरी स्त्री से उत्पन्न हुए हो। अत: तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि तुम्हारा प्रयास व्यर्थ है। तुम ऐसी इच्छा की पूर्ति चाह रहे हो जिसका पूरा होना असम्भव है।
तात्पर्य
नन्हा सा बालक ध्रुव महाराज स्वभावत: अपने पिता के प्रति स्नेह से भरा था। उसे पता नहीं था कि उसकी दोनों माताओं में अन्तर है। यह अन्तर रानी सुरुचि ने बताया। उसने कहा कि चूँकि ध्रुव अबोध बालक है, अत: वह दोनों रानियों के अन्तर को नहीं समझ सकता। सुरुचि के गर्व का यह दूसरा वक्तव्य है।
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