काञ्ची-कलाप—छोटे-छोटे घुंघुरू; पर्यस्तम्—कमर को घेरते हुए; लसत्-काञ्चन-नूपुरम्—सुनहले नूपुरों से अलंकृत पाँव; दर्शनीय-तमम्—अत्यन्त दर्शनीय; शान्तम्—शान्त, मौन; मन:-नयन-वर्धनम्—आँखों तथा मन को मोहने वाला ।.
अनुवाद
भगवान् का कटि-प्रदेश सोने की छोटी-छोटी घंटियों से अलंकृत है और उनके चरणकमल सुनहले नूपुरों से सुशोभित हैं। उनके सभी शारीरिक अंग अत्यन्त आकर्षक एवं नेत्रों को भाने वाले हैं। वे सदैव शान्त तथा मौन रहते हैं और नेत्रों तथा मन को अत्यधिक मोहनेवाले हैं।
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