मैत्रेय ने आगे कहा : हे कुरुश्रेष्ठ, अब मैं आपके समक्ष स्वायंभुव मनु के वंशजों का वर्णन करता हूँ जो भगवान् के अंशांश के रूप में उत्पन्न हुए थे।
तात्पर्य
ब्रह्मा भगवान् के शक्ति सम्पन्न अंश हैं। यद्यपि ब्रह्मा जीव-तत्त्व हैं, किन्तु उन्हें भगवान् से शक्ति प्राप्त है, अत: वे उनके अंश माने जाते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि जब कोई ऐसा उपयुक्त जीव नहीं रहता जिसे ब्रह्मा नियुक्त किया जा सके, तो भगवान् स्वयं ब्रह्मा रूप में प्रकट होते हैं। ब्रह्मा भगवान् के अंश हैं और स्वायंभुव मनु ब्रह्मा के प्रत्यक्ष पुत्र थे। अब मैत्रेय मुनि मनु के उन वंशजों के विषय में बताने जा रहे हैं, जो सब के सब अपने पुण्यकर्मों के कारण विख्यात हुए हैं। इन पवित्र वंशजों के वर्णन के पूर्व वे अपवित्र कर्मोंवाले वंशजों का, जिनमें क्रोध, मृषा, दुरुक्ति, हिंसा, भय तथा मृत्यु मुख्य हैं, पहले ही वर्णन कर चुके हैं। अत: वे सोद्देश्य ही आगे ध्रुव महाराज का जीवन-इतिहास बताने जा रहे हैं, जो इस विश्व का सबसे बड़ा पुण्यात्मा राजा था।
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