महर्षि नारद ने पूछा : हे राजन्, तुम्हारा मुख सूख रहा दिखता है और ऐसा लगता है कि तुम दीर्घकाल से कुछ सोचते रहे हो। ऐसा क्यों है? क्या तुम्हें धर्म, अर्थ तथा काम के मार्ग का पालन करने में कोई बाधा हुई है?
तात्पर्य
मानव सभ्यता की उन्नति की चार अवस्थाएँ हैं—धर्म, अर्थ, काम तथा कुछों के लिए मोक्ष। नारद मुनि ने राजा से उसकी मुक्ति के विषय में कुछ नहीं पूछा, बस इतना ही पूछा कि राज्य का प्रबन्ध कैसा है, जो तीन सिद्धान्तों के उन्नति के लिए हैं। चूँकि ऐसे कर्म करने वाले कभी मुक्ति में रुचि नहीं रखते, इसीलिए नारद ने राजा से इसके विषय में कुछ नहीं कहा। मुक्ति तो उन लोगों के लिए है जिन्होंने धार्मिक कृत्यों, आर्थिक विकास तथा इन्द्रियतृप्ति के प्रति सारी रुचि खो दी है।
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