द्वितीयं च तथा मासं षष्ठे षष्ठेऽर्भको दिने ।
तृणपर्णादिभि: शीर्णै: कृतान्नोऽभ्यर्चयन्विभुम् ॥ ७३ ॥
शब्दार्थ
द्वितीयम्—अगले मास; च—भी; तथा—उपयुक्त विधि से; मासम्—माह; षष्ठे षष्ठे—प्रत्येक छह दिन पर; अर्भक:—अबोध बालक; दिने—दिने में; तृण-पर्ण-आदिभि:—घास-पात से; शीर्णै:—शुष्क; कृत-अन्न:—अन्न के रूप में; अभ्यर्चयन्—और इस प्रकार पूजा करता रहा; विभुम्—भगवान् के लिए ।.
अनुवाद
दूसरे महीने में महाराज ध्रुव छह-छह दिन बाद खाने लगे। शुष्क घास तथा पत्ते ही उनके खाद्य पदार्थ थे। इस प्रकार उन्होंने अपनी पूजा चालू रखी।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥