तृतीयम्—तीसरे महीने; च—भी; आनयन्—बीतने पर; मासम्—एक महीना; नवमे नवमे—प्रत्येक नवें; अहनि—दिन में; अप्-भक्ष:—केवल जल पीकर; उत्तम-श्लोकम्—भगवान्, जिनकी आराधना चुने हुए श्लोकों से की जाती है; उपाधावत्— पूजा की; समाधिना—समाधि में ।.
अनुवाद
तीसरे महीने में वे प्रत्येक नवें दिन केवल जल ही पीते। इस प्रकार वे पूर्ण रूप से समाधि में रहते हुए पुण्यश्लोक भगवान् की पूजा करते रहे।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥