जब राजा उत्तानपाद ने सुना कि उसका पुत्र ध्रुव घर वापस आ रहा है, मानो मृत्यु के पश्चात् पुनर्जीवित हो रहा हो, तो उसे इस समाचार पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उसे सन्देह था कि यह हो कैसे सकता है। उसने अपने को अत्यन्त अभागा समझ लिया था, अत: उसने सोचा कि ऐसा सौभाग्य उसे कहाँ नसीब हो सकता है?
तात्पर्य
पाँच वर्ष के बालक ध्रुव महाराज तपस्या के लिए जंगल चले गये और राजा को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतनी अल्प आयु का बालक जंगल में रह सकता है। उसे पक्का विश्वास था कि ध्रुव मर चुका है। अत: उसे इस समाचार पर विश्वास ही नहीं हुआ कि ध्रुव महाराज घर वापस आ रहे हैं। उसके लिए यह समाचार मानो यह कह रहा हो कि एक मृत व्यक्ति वापस आ रहा है, इसलिए उसे विश्वास नहीं हो रहा था। ध्रुव महाराज के जंगल चले जाने के बाद राजा उत्तानपाद सोचता रहा कि उसी के कारण ध्रुव महाराज जंगल गये हैं, अत: वह अपने को सबसे अभागा समझ रहा था। अत: भले ही उसका खोया हुआ पुत्र मृत्यु के राज्य से वापस आ रहा था, किन्तु अपने को अत्यन्त पापी समझ लेने के कारण वह सोच रहा था कि उसके इतने भाग्य कहाँ कि खोया पुत्र वापस आ जाये।
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