सुनीति:—सुनीति, ध्रुव की असली माता; अस्य—उसकी; जननी—माता; प्राणेभ्य:—प्राणवायु से बढक़र; अपि—भी; प्रियम्—प्रिय; सुतम्—पुत्र को; उपगुह्य—गले लगा कर; जहौ—त्याग दिया; आधिम्—सारा शोक; तत्-अङ्ग—उसका शरीर; स्पर्श—छूकर; निर्वृता—सन्तुष्ट ।.
अनुवाद
ध्रुव महाराज की असली माता सुनीति ने अपने पुत्र के कोमल शरीर को गले लगा लिया, क्योंकि वह उसे अपने प्राणों से भी अधिक प्यारा था। इस प्रकार वह सारा भौतिक शोक भूल गई, क्योंकि वह परम प्रसन्न थी।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.