बावडिय़ों में पुखराज की सीढिय़ाँ थीं। इन बाबडिय़ाँ में विविध रंग के कमल तथा कुमुदिनियाँ, हंस, कारण्डव, चक्रवाक, सारस तथा अन्य महत्त्वपूर्ण पक्षी दिखाई पड़ रहे थे।
तात्पर्य
ऐसा प्रतीत होता है कि महल के चारों ओर परकोटे तथा भाँति-भाँति के वृक्षों से युक्त उद्यान ही न थे, वरन् मानव-निर्मित बावडिय़ाँ भी थीं, जिनका जल रंग-बिरंगे कमल के फूलों तथा कुमुदिनियों से भरा पड़ा था। बावड़ी में उतरने के लिए पुखराज जैसे मूल्यवान हीरों की सीढिय़ाँ बनाई गई थीं। इस प्रकार सुन्दर उद्यानों से घिरे महलों में हंस, चक्रवाक, कारण्डव तथा सारस जैसे प्रमुख पक्षी भी थे। ये पक्षी सामान्यत: ऐसे गन्दे स्थानों में नहीं रहते हैं, जहाँ कौए रहते हैं। इस वर्णन से कल्पना की जा सकती है कि नगर का वातावरण कितना स्वास्थ्यप्रद तथा सुन्दर था!
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