श्रीमद् भागवतम
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श्लोक 2
श्लोक
5.15.2
तस्माद्वृद्धसेनायां देवताजिन्नाम पुत्रोऽभवत् ॥ २ ॥
शब्दार्थ
तस्मात्—सुमति से; वृद्ध-सेनायाम्—उसकी पत्नी वृद्धसेना के गर्भ से; देवताजित्-नाम—देवताजित् नामक; पुत्र:—पुत्र; अभवत्—उत्पन्न हुआ ।.
अनुवाद
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सुमति की पत्नी वृद्धसेना के गर्भ से देवताजित् नामक पुत्र का जन्म हुआ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥