श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 5: सृष्टि की प्रेरणा  »  अध्याय 15: राजा प्रियव्रत के वंशजों का यश-वर्णन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  5.15.2 
तस्माद्‍वृद्धसेनायां देवताजिन्नाम पुत्रोऽभवत् ॥ २ ॥
 
शब्दार्थ
तस्मात्—सुमति से; वृद्ध-सेनायाम्—उसकी पत्नी वृद्धसेना के गर्भ से; देवताजित्-नाम—देवताजित् नामक; पुत्र:—पुत्र; अभवत्—उत्पन्न हुआ ।.
 
अनुवाद
 
 सुमति की पत्नी वृद्धसेना के गर्भ से देवताजित् नामक पुत्र का जन्म हुआ।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥