गयम्—गय; नृप:—राजा; क:—कौन; प्रतियाति—तुलनीय है; कर्मभि:—कर्मों के कारण; यज्वा—जिसने समस्त यज्ञ किये; अभिमानी—सारे विश्व में अत्यधिक सम्मानित; बहु-वित्—वैदिक शास्त्रों से भली-भाँति ज्ञात; धर्म-गोप्ता—प्रत्येक व्यक्ति के कार्यों का संरक्षक; समागत-श्री:—सभी प्रकार के वैभव से युक्त; सदस:-पति: सताम्—महान् व्यक्तियों की सभा का अध्यक्ष; सत्-सेवक:—भक्तों का सेवक; अन्य:—अन्य कोई; भगवत्-कलाम्—श्रीभगवान् की कला (अवतार); ऋते—के अतिरिक्त ।.
अनुवाद
महान् राजा गय सभी प्रकार के वैदिक अनुष्ठान किया करते थे। वे अत्यन्त बुद्धिमान और सभी वैदिक शास्त्रों के अध्ययन में दक्ष थे। उन्होंने धार्मिक नियमों की रक्षा की और वे समस्त वैभव से युक्त थे। वे सज्जनों के नायक और भक्तों के सेवक थे। वे श्रीभगवान् के सच्चे अर्थों में सर्वथा समर्थ अंश (कला) थे। अत: महान् अनुष्ठानों (यज्ञ) को सम्पन्न करने में उनकी तुलना कौन कर सकता है?
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