सा च तदाश्रमोपवनमतिरमणीयं विविधनिबिडविटपिविटपनिकरसंश्लिष्टपुरटलतारूढस्थलविहङ्गममिथुनै: प्रोच्यमानश्रुतिभि: प्रतिबोध्यमानसलिलकुक्कुटकारण्डवकलहंसादिभिर्विचित्रमुपकूजितामलजलाशयकमलाकरमुपबभ्राम ॥ ४ ॥
श्री ब्रह्मा द्वारा भेजी गई अप्सरा उस उपवन के निकट विचरने लगी जहाँ राजा ध्यान में लगकर आराधना कर रहा था। वह उपवन सघन वृक्षों तथा स्वर्णिम लताओं के कारण अत्यन्त रमणीय था। वहाँ स्थल पर मयूर जैसे अनेक पक्षियों के जोड़े और सरोवर में बत्तख तथा हंस सुमधुर कूजन कर रहे थे। इस प्रकार वह उपवन वृक्षों, निर्मल जल, कमल पुष्प तथा सुमधुर कूजन करते विविध पक्षियों के कारण अत्यन्त सुन्दर लग रहा था।
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