भूमिरापोऽनलो वायु: खं मनो बुद्धिरेव च। अहंकार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा ॥ “पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार—यह आठ प्रकार से विभाजित मेरी भिन्ना (अपरा) प्रकृति है।” जिस प्रकार उष्मा तथा प्रकाश नामक सूर्य की शक्तियाँ इस ब्रह्माण्ड में क्रियाशील हैं और प्रत्येक वस्तु को कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं, उसी प्रकार परमेश्वर की शक्ति सम्पूर्ण सृष्टि में क्रियाशील रहती है। शास्त्रों में वर्णित विशिष्ट नदियाँ भी श्रीभगवान् की शक्तियाँ हैं और जो व्यक्ति इनमें प्रतिदिन स्नान करते हैं, वे पवित्र होते रहते हैं। सचमुच अनेक लोग गंगा में स्नान करने मात्र से रोगमुक्त होते हैं। इसी प्रकार क्रौंच द्वीप के निवासी नदियों में स्नान करके पवित्र होते हैं। |