जो ब्राह्मणी या ब्राह्मण मद्यपान करता है उसे यमराज के दूत अय:पान नामक नरक में ले जाते हैं। यदि कोई क्षत्रिय, वैश्य अथवा व्रत धारण करने वाला मोहवश सोमपान करता है, तो वह भी इस नरक में स्थान पाता है। अय:पान नरक में यम के दूत उनकी छाती पर चढ़ कर उनके मुँह के भीतर तप्त पिघला लोहा उड़ेलते हैं।
तात्पर्य
मनुष्य को केवल नाम का ही ब्राह्मण नहीं होना चाहिए और न ही सभी प्रकार के पापकर्म, विशेष रूप से मद्यपान करना चाहिए। ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य जनों
को चाहिए कि अपने वर्णानुसार आचरण करें। यदि वे पतित होकर मद्यपान के आदी अर्थात् शूद्र बन जाते हैं, तो उन्हें यहाँ वर्णित विधि से दण्डित किया जाएगा।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥