कुछ विद्वान नरक लोकों की कुल संख्या इक्कीस बताते हैं, तो कुछ अट्ठाईस। हे राजन्, मैं क्रमश: उनके नाम, रूप तथा लक्षणों का वर्णन करूँगा। विभिन्न नरकों के नाम ये हैं—तामिस्र, अन्धतामिस्र, रौरव, महारौरव, कुम्भीपाक, कालसूत्र, असिपत्रवन, सूकरमुख, अन्धकूप, कृमिभोजन, सन्दंश, तप्तसूर्मि, वज्रकंटक-शाल्मली, वैतरणी, पूयोद, प्राणरोध, विशसन, लालाभक्ष, सारमेयादन, अवीचि, अय:पान, क्षारकर्दम, रक्षोगणभोजन, शूलप्रोत, दन्दशूक, अवटनिरोधन, पर्यावर्तन तथा सूचीमुख। ये सभी लोक जीवात्माओं को दण्डित करने के लिए हैं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥