काम:—विषय; मन्यु:—क्रोध; मद:—घमंड; लोभ:—लालच; शोक—पश्चात्ताप; मोह—मोह; भय—डर; आदय:—ये सभी; कर्म-बन्ध:—सकाम कर्म के लिए बन्धन स्वरूप; च—तथा; यत्-मूल:—जिसका कारण; स्वीकुर्यात्—स्वीकार करेगा; क:—कौन; नु—निस्संदेह; तत्—वह मन; बुध:—यदि बुद्धिमान है ।.
अनुवाद
काम, क्रोध, मद, लोभ, पश्चाताप, मोह तथा भय का मूल कारण तो मन ही है। ये सारे मिल कर कर्म-बन्धन की रचना करते हैं। भला कौन बुद्धिमान मन पर विश्वास कर सकेगा?
तात्पर्य
भौतिक बन्धन का मूल कारण मन है। इसका पीछा करने वाले अनेक शत्रु हैं यथा क्रोध, मद, लालच, शोक, मोह तथा भय। मन को वश में करने का सरल उपाय यह है कि उसे कृष्णभावनामृत
में संलग्न रखा जाये (स वै मन: कृष्ण-पदार-विन्दयो: )। चूँकि मन का पीछा करने वाले तत्त्व भव-बन्धन लाने वाले हैं, अत: हमें मन पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥