जब अजामिल भोजन करता तो वह बालक को खाने के लिए पुकारता और जब वह कुछ पीता तो उसे भी पीने के लिए बुलाता। उस बालक की देखरेख करने तथा उसका नाम पुकारने में सदा लगा रहकर अजामिल यह न समझ पाया कि उसका समय अब समाप्त हो चुका है और मृत्यु उसके सिर पर है।
तात्पर्य
पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् बद्धजीव पर दयालु रहते हैं। यद्यपि यह व्यक्ति नारायण को पूरी तरह भूल चुका था, किन्तु अपने बच्चे को यह कहकर पुकारता रहता, “नारायण! आकर भोजन कर लो। नारायण! आकर यह दूध पी लो।” इसलिए वह किसी न किसी रूप में नारायण के नाम से जुड़ा रहा था। यह अज्ञात-सुकृति कहलाता है। यद्यपि वह पुकारता अपने पुत्र को था, किन्तु अनजाने में वह नारायण का नाम लेता था और पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् का पवित्र नाम अलौकिक स्तर पर इतना शक्तिशाली है कि उसका वह पुकारना कीर्तन करना माना जा रहा था।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.