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श्लोक |
अथ काल उपावृत्ते कुमार: समजायत ।
जनयन् शूरसेनानां शृण्वतां परमां मुदम् ॥ ३२ ॥ |
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शब्दार्थ |
अथ—तत्पश्चात्; काले उपावृत्ते—कालक्रम से, समय आने पर; कुमार:—पुत्र ने; समजायत—जन्म लिया; जनयन्—जन्म होने का; शूरसेनानाम्—शूरसेन देश के निवासियों का; शृण्वताम्—सुनकर; परमाम्—अत्यधिक; मुदम्—हर्ष आनन्द ।. |
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अनुवाद |
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तदनन्तर समय आने पर राजा के पुत्र उत्पन्न हुआ। इस समाचार को सुनकर शूरसेन देश के समस्त वासी अत्यधिक प्रसन्न हुए। |
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