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श्लोक |
दितेर्द्वावेव दायादौ दैत्यदानववन्दितौ ।
हिरण्यकशिपुर्नाम हिरण्याक्षश्च कीर्तितौ ॥ ११ ॥ |
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शब्दार्थ |
दिते:—दिति के; द्वौ—दो; एव—निश्चय ही; दायादौ—पुत्र; दैत्य-दानव—दैत्यों तथा दानवों के द्वारा; वन्दितौ—पूजित; हिरण्यकशिपु:—हिरण्यकशिपु; नाम—नामक; हिरण्याक्ष:—हिरण्याक्ष; च—भी; कीर्तितौ—विख्यात ।. |
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अनुवाद |
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सर्वप्रथम दिति के गर्भ से हिरण्यकशिपु तथा हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। ये दोनों अत्यन्त शक्तिशाली थे और दैत्यों तथा दानवों द्वारा पूजित थे। |
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