नीयमानं तवादेशादस्माभिर्यातनागृहान् ।
व्यामोचयन्पातकिनं छित्त्वा पाशान प्रसह्य ते ॥ ९ ॥
शब्दार्थ
नीयमानम्—लाया जा रहा; तव आदेशात्—आपके आदेश से; अस्माभि:—हमारे द्वारा; यातना-गृहान्—यातना के कक्षों या नरक लोकों को; व्यामोचयन्—छुड़ाते हुए; पातकिनम्—पापी अजामिल को; छित्त्वा—काटकर; पाशान्—रस्सियों को; प्रसह्य—बलपूर्वक; ते—वे ।.
अनुवाद
हम आपके आदेशानुसार महान् पापी अजामिल को नरक की ओर ला रहे थे, तभी सिद्धलोक के उन सुन्दर पुरुषों ने बलपूर्वक उन रस्सियों की गाँठों को काट दिया जिनसे हम उसे बन्दी बनाये हुए थे।
तात्पर्य
श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर की टिप्पणी है कि यमदूत विष्णुदूतों को यमराज के समक्ष
लाना चाहते थे। यदि यमराज उन विष्णुदूतों को दण्ड द सकते तो यमदूतों को सन्तोष हुआ होता।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥