स्कन्दश्च कृत्तिकापुत्रो ये विशाखादयस्तत: ।
दोषस्य शर्वरीपुत्र: शिशुमारो हरे: कला ॥ १४ ॥
शब्दार्थ
स्कन्द:—स्कन्द; च—भी; कृत्तिका-पुत्र:—कृत्तिका का पुत्र; ये—जो; विशाख-आदय:—विशाख इत्यादि; तत:—उस (स्कन्द) से; दोषस्य—दोष का; शर्वरी-पुत्र:—उसकी पत्नी शर्वरी का पुत्र; शिशुमार:—शिशुमार; हरे: कला—भगवान् का अंश ।.
अनुवाद
अग्नि की दूसरी पत्नी कृत्तिका से स्कन्द (कार्तिकेय) नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जिसके पुत्रों में विशाख प्रमुख था। दोष नामक वसु की पत्नी शर्वरी से शिशुमार नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जो श्रीभगवान् का अंश था।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥