श्रीमद् भागवतम
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भागवत पुराण
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स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य
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अध्याय 6: दक्ष की कन्याओं का वंश
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श्लोक 4
श्लोक
भानुर्लम्बा ककुद्यामिर्विश्वा साध्या मरुत्वती ।
वसुर्मुहूर्ता सङ्कल्पा धर्मपत्न्य: सुताञ्शृणु ॥ ४ ॥
शब्दार्थ
भानु:—भानु; लम्बा—लम्बा; ककुत्—ककुद; यामि:—यामि; विश्वा—विश्वा; साध्या—साध्या; मरुत्वती—मरुत्वती; वसु:—वसु; मुहूर्ता—मुहूर्ता; सङ्कल्पा—संकल्पा; धर्म-पत्न्य:—यमराज की पत्नियाँ; सुतान्—उनके पुत्र; शृणु—सुनो ।.
अनुवाद
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यमराज को प्रदत्त दस कन्याओं के नाम थे भानु, लम्बा, ककुद, यामि, विश्वा, साध्या, मरुत्वती, वसु, मुहूर्ता तथा संकल्पा। अब उनके पुत्रों के नाम सुनो।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥