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श्लोक |
मौहूर्तिका देवगणा मुहूर्तायाश्च जज्ञिरे ।
ये वै फलं प्रयच्छन्ति भूतानां स्वस्वकालजम् ॥ ९ ॥ |
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शब्दार्थ |
मौहूर्तिका:—मौहूर्तिक गण; देव-गणा:—देवता; मुहूर्ताया:—मुहूर्ता के गर्भ से; च—तथा; जज्ञिरे—जन्म ग्रहण किया; ये—जिन सबों ने; वै—निस्सन्देह; फलम्—फल, परिणाम; प्रयच्छन्ति—प्रदान करते हैं; भूतानाम्—समस्त जीवात्माओं का; स्व-स्व—अपना-अपना; काल-जम्—काल से उत्पन्न ।. |
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अनुवाद |
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मुहूर्ता के गर्भ से मौहूर्तिकगण नामक देवताओं ने जन्म ग्रहण किया। ये देवता अपने- अपने कालों में जीवात्माओं को उनके कर्मों का फल प्रदान करने वाले हैं। |
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