हे राजन्, यदि कोई खेत को बारम्बार जोता-बोया जाता है, तो उसकी उत्पादन शक्ति घट जाती है और जो भी बीज बोये जाते हैं वे नष्ट हो जाते हैं। जिस प्रकार घी की एक एक बूँद डालने से अग्नि कभी नहीं बुझती अपितु घी की धारा से वह बुझ जाएगी उसी प्रकार विषयवासना में अत्यधिक लिप्त होने पर ऐसी इच्छाएँ पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं।
तात्पर्य
यदि कोई अग्नि में निरन्तर बूँद-बूँद घी छिडक़े तो अग्नि नहीं बुझेगी, किन्तु यदि ढेर सारा घी उड़ेल दिया जाये तो अग्नि सम्भवत: पूरी तरह बुझ जाए। इसी प्रकार जो अधिक पापी हैं और निम्न जाति में उत्पन्न हैं उन्हें जी भर कर पाप करने दिया जाता है, क्योंकि सम्भव है कि वे इन कार्यों से ऊब कर उन्हें शुद्ध बनने का अवसर पा सकें।
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