प्राह—कहा; न—नहीं; एनाम्—इसको; सुर-पते—हे देवताओं के राजा; नेतुम्—घसीटने के लिए; अर्हसि—तुम्हें चाहिए; अनागसम्—पापरहित, निर्दोष; मुञ्च मुञ्च—छोड़ दो, छोड़ दो; महा-भाग—हे परम भाग्यशाली; सतीम्—सती; पर-परिग्रहम्— पराये पुरुष की पत्नी को ।.
अनुवाद
नारद मुनि ने कहा : हे देवराज इन्द्र, यह स्त्री निश्चय ही पापरहित है। तुम्हें इसे इस तरह क्रूरतापूर्वक घसीटना नहीं चाहिए। हे परम सौभाग्यशाली, यह सती स्त्री किसी दूसरे की पत्नी है। तुम इसे तुरन्त छोड़ दो।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥