चारणलोक के निवासियों ने कहा : हे प्रभु, आपने उस असुर हिरण्यकशिपु को विनष्ट कर दिया जो सारे निष्कपट पुरुषों के हृदयों में आतंक बना हुआ था। अब हमें शान्ति मिली है। हम सभी आपके उन चरणकमलों की शरण ग्रहण करते हैं, जो बद्धजीव को भौतिक कल्मष से मुक्ति दिलानेवाले हैं।
तात्पर्य
भगवान् अपने नरहरि या नृसिंह देव रूप में उन दुष्टों का वध करने के लिए सदैव उद्यत रहते हैं, जो निष्कपट भक्तों के मनों में अशान्ति उत्पन्न करते हैं। भक्तों को कृष्णभावनामृत आन्दोलन का प्रसार करने के लिए संसार भर में अनेक संकटों तथा अवरोधों का सामना करना होता है किन्तु जो आज्ञाकारी दास भक्तिपूर्वक भगवान् का उपदेश देता है उसे यह जान लेना चाहिए कि नृसिंह देव सदैव उसके रक्षक होते हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.