तथा—ऐसा ही हो; इति—इस प्रकार ब्रह्माजी के वचनों को मानकर; शनकै:—धीरे-धीरे; राजन्—हे राजा (युधिष्ठिर); महा भागवत:—अत्यन्त महान् भक्त (प्रह्लाद महाराज); अर्भक:—यद्यपि छोटे बालक ही थे; उपेत्य—धीरे-धीरे निकट जाकर; भुवि—पृथ्वी पर; कायेन—अपने शरीर से; ननाम—प्रणाम किया; विधृत-अञ्जलि:—हाथ जोड़े हुए ।.
अनुवाद
नारद मुनि ने आगे कहा : हे राजा, यद्यपि महान् भक्त प्रह्लाद महाराज केवल छोटे से बालक थे, लेकिन उन्होंने ब्रह्माजी की बातें मान लीं। वे धीरे-धीरे भगवान् नृसिंहदेव की ओर बढ़े और हाथ जोडक़र पृथ्वी पर गिर कर उन्हें सादर नमस्कार किया।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥