साधयित्वा—सम्पन्न करके; अमृतम्—अमृत की उत्पत्ति; राजन्—हे राजा; पाययित्वा—तथा पिलाकर; स्वकान्—अपने भक्तों; सुरान्—देवताओं को; पश्यताम्—उपस्थिति में; सर्व-भूतानाम्—सारे जीवों की; ययौ—चले गये; गरुड-वाहन:—गरुड़ द्वारा ले जाये जाने वाले भगवान् ।.
अनुवाद
हे राजा! समुद्र-मन्थन का कार्य पूरा कर लेने तथा अपने प्रिय भक्त देवताओं को अमृत पिला लेने के बाद भगवान् ने उन सबके देखते-देखते वहाँ से विदा ली और गरुड़ पर चढक़र अपने धाम चले गये।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥