हे राजा! समुद्र-मन्थन का कार्य पूरा कर लेने तथा अपने प्रिय भक्त देवताओं को अमृत पिला लेने के बाद भगवान् ने उन सबके देखते-देखते वहाँ से विदा ली और गरुड़ पर चढक़र अपने धाम चले गये।
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All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
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