सखायम्—अपने घनिष्ठ मित्र को; पतितम्—गिरा हुआ; दृष्ट्वा—देखकर; जम्भ:—जम्भ नामक राक्षस; बलि-सख:—बलि महाराज का घनिष्ठ मित्र; सुहृत्—तथा निरन्तर शुभ चाहने वाला; अभ्ययात्—वहाँ पर प्रकट हुआ; सौहृदम्—अत्यन्त दयालु मित्रता; सख्यु:—अपने मित्र का; हतस्य—जो चोट खाकर गिर गया था; अपि—यद्यपि; समाचरन्—मैत्रीपूर्ण कार्य निबाहने के लिए ।.
अनुवाद
जब जम्भासुर ने देखा कि उसका मित्र बलि गिर गया है, तो वह उसके शत्रु इन्द्र के समक्ष प्रकट हुआ मानो मैत्रीपूर्ण आचरण से बलि महाराज की सेवा करने के लिए आया हो।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥