इस तरह स्वर्ग के राजा इन्द्र ने अपनी झाग के हथियार से नमुचि का सिर काट दिया। यह झाग न तो शुष्क थी, न आर्द्र। तब सारे मुनियों ने उस महापुरुष इन्द्र पर फूलों की वर्षा की तथा माल्यार्पण द्वारा उसे लगभग ढक दिया और सन्तुष्ट कर लिया।
तात्पर्य
इस प्रसंग में श्रुति-मन्त्रों का कहना है—अपां फेनेन नमुचे: शिर इन्द्रोऽदारयत्—इन्द्र
ने नमुचि को जल की झाग से मार डाला जो न तो सूखी होती है न गीली।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥