तत्र—उस पर्वत पर; अविनष्ट-अवयवान्—बचे हुए अंगों वाले मारे गए असुरों को; विद्यमान-शिरोधरान्—जिनके सिर उनके शरीरों में अभी तक लगे थे; उशना:—शुक्राचार्य; जीवयाम् आस—जीवित कर दिया; संजीवन्या—सञ्जीवनी मंत्र द्वारा; स्व विद्यया—अपनी विद्या से ।.
अनुवाद
उस पर्वत पर शुक्राचार्य ने उन सारे मृत असुर सैनिकों को जिनके सिर, धड़ तथा हाथ- पाँव कटे नहीं थे जीवित कर दिया। उन्होंने अपने सञ्जीवनी मंत्र के द्वारा यह सब किया।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥