नवमो दक्षसावर्णिर्मनुर्वरुणसम्भव: ।
भूतकेतुर्दीप्तकेतुरित्याद्यास्तत्सुता नृप ॥ १८ ॥
शब्दार्थ
नवम:—नौवाँ; दक्ष-सावर्णि:—दक्षसावर्णि; मनु:—मनु; वरुण-सम्भव:—वरुण के पुत्र रूप में; भूतकेतु:—भूतकेतु; दीप्तकेतु:—दीप्तकेतु; इति—इस प्रकार; आद्या:—इत्यादि; तत्—उसके; सुता:—पुत्र; नृप—हे राजा ।.
अनुवाद
हे राजा! नौवाँ मनु दक्षसावर्णि होगा जो वरुण का पुत्र होगा। भूतकेतु, दीप्तकेतु इत्यादि उसके पुत्र होंगे।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥