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श्लोक |
पारामरीचिगर्भाद्या देवा इन्द्रोऽद्भुत: स्मृत: ।
द्युतिमत्प्रमुखास्तत्र भविष्यन्त्यृषयस्तत: ॥ १९ ॥ |
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शब्दार्थ |
पारा—पारगण; मरीचिगर्भ—मरीचिगर्भगण; आद्या:—आदि; देवा:—देवतागण; इन्द्र:—स्वर्ग का राजा; अद्भुत:—अद्भुत; स्मृत:—ज्ञात; द्युतिमत्—द्युतिमान; प्रमुखा:—आदि; तत्र—उस नवें मन्वन्तर में; भविष्यन्ति—होंगे; ऋषय:—सप्तर्षि; तत:— तब ।. |
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अनुवाद |
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नवें मन्वन्तर में पार तथा मरीचिगर्भ इत्यादि देवता रहेंगे। स्वर्ग के राजा इन्द्र का नाम होगा अद्भुत और द्युतिमान सप्तर्षियों में से एक होगा। |
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