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श्लोक |
देवा: सुकर्मसुत्रामसंज्ञा इन्द्रो दिवस्पति: ।
निर्मोकतत्त्वदर्शाद्या भविष्यन्त्यृषयस्तदा ॥ ३१ ॥ |
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शब्दार्थ |
देवा:—देवतागण; सुकर्म—सुकर्मा-गण; सुत्राम-संज्ञा:—तथा सुत्राम नामक; इन्द्र:—इन्द्र; दिवस्पति:—दिवस्पति; निर्मोक— निर्मोक; तत्त्वदर्श-आद्या:—तत्त्वदर्श इत्यादि; भविष्यन्ति—होंगे; ऋषय:—सप्तर्षि; तदा—उस समय ।. |
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अनुवाद |
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तेरहवें मन्वन्तर में सुकर्मा तथा सुत्रामा इत्यादि देवता होंगे, दिवस्पति स्वर्ग का राजा इन्द्र होगा और निर्मोक तथा तत्त्वदर्श सप्तर्षि होंगे। |
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