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श्लोक |
आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणा: ।
अश्विनावृभवो राजन्निन्द्रस्तेषां पुरन्दर: ॥ ४ ॥ |
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शब्दार्थ |
आदित्या:—आदित्यगण; वसव:—वसुगण; रुद्रा:—रुद्रगण; विश्वेदेवा:—विश्वेदेवा; मरुत्-गणा:—तथा मरुत्गण; अश्विनौ— दोनों अश्विनीकुमार; ऋभव:—ऋभुगण; राजन्—हे राजा; इन्द्र:—स्वर्ग का राजा; तेषाम्—उनमें से; पुरन्दर:—पुरन्दर ।. |
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अनुवाद |
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हे राजा! इस मन्वन्तर में आदित्य, वसु, रुद्र, विश्वेदेवा, मरुत्गण, दोनों भाई अश्विनीकुमार तथा ऋभु देवता हैं। इनका प्रधान राजा (इन्द्र) पुरन्दर है। |
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