भागवत पुराण » स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन » अध्याय 13: भावी मनुओं का वर्णन » श्लोक 5 |
| श्लोक | कश्यपोऽत्रिर्वसिष्ठश्च विश्वामित्रोऽथ गौतम: ।
जमदग्निर्भरद्वाज इति सप्तर्षय: स्मृता: ॥ ५ ॥ | | शब्दार्थ | कश्यप:—कश्यप; अत्रि:—अत्रि; वसिष्ठ:—वसिष्ठ; च—तथा; विश्वामित्र:—विश्वामित्र; अथ—तथा; गौतम:—गौतम; जमदग्नि:—जमदग्नि; भरद्वाज:—भरद्वाज; इति—इस प्रकार; सप्त-ऋषय:—सप्तर्षि; स्मृता:—विख्यात ।. | | अनुवाद | | कश्यप, अत्रि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि तथा भरद्वाज सप्तर्षि कहलाते हैं। | |
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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