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श्लोक |
ब्रूहि कारणमेतस्य दुर्धर्षत्वस्य मद्रिपो: ।
ओज: सहो बलं तेजो यत एतत्समुद्यम: ॥ २७ ॥ |
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शब्दार्थ |
ब्रूहि—कृपा करके हमें बतायें; कारणम्—कारण; एतस्य—इसका; दुर्धर्षत्वस्य—दुर्धर्षता का; मत्-रिपो:—मेरे शत्रु का; ओज:—पराक्रम; सह:—शक्ति; बलम्—बल; तेज:—प्रभाव; यत:—जहाँ से; एतत्—यह सब; समुद्यम:—प्रयास ।. |
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अनुवाद |
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कृपया मुझे बतायें कि बलि महाराज की शक्ति, उद्यम, प्रभाव तथा विजय का क्या कारण है? वह इतना उत्साही कैसे हो गया है? |
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