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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  8.16.35 
नमो मरकतश्यामवपुषेऽधिगतश्रिये ।
केशवाय नमस्तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ॥ ३५ ॥
 
शब्दार्थ
नम:—मैं नमस्कार करता हूँ; मरकत-श्याम-वपुषे—जिनके शरीर का रंग मरकत मणि के समान श्यामल है; अधिगत-श्रिये— माता लक्ष्मी जिनके अधीन हैं; केशवाय—केशी असुर का वध करने वाले भगवान् केशव को; नम: तुभ्यम्—मैं आपको नमस्कार करता हूँ; नम: ते—पुन:-पुन: नमस्कार करता हूँ; पीत-वाससे—पीताम्बर वाले ।.
 
अनुवाद
 
 हे पीताम्बरधारी भगवान्! मैं आपको सादर नमस्कार करता हूँ। आपके शरीर का रंग मरकत मणि जैसा है और आप लक्ष्मीजी को पूर्णत: वश में रखने वाले हैं। हे भगवान् केशव! मैं आपको सादर नमस्कार करता हूँ।
 
 
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