). कश्यप मुनि ने आगे कहा : इन सभी मंत्रों के उच्चारण द्वारा भगवान् का श्रद्धा तथा भक्ति के साथ स्वागत करके एवं उन्हें पूजा की वस्तुएँ (पाद्य तथा अर्घ्य) अर्पित करके मनुष्य को केशव अर्थात् हृषीकेश भगवान् कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
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