प्रतिपदा से त्रयोदशी तक इस अनुष्ठान को मनुष्य प्रतिदिन नाच, गाना, बाजा, स्तुति तथा शुभ मंत्रोच्चार एवं श्रीमद्भागवत के पाठ के साथ-साथ जारी रखे। इस प्रकार मनुष्य भगवान् की पूजा करे।
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