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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 16: पयोव्रत पूजा विधि का पालन करना  »  श्लोक 58
 
 
श्लोक  8.16.58 
एतत्पयोव्रतं नाम पुरुषाराधनं परम् ।
पितामहेनाभिहितं मया ते समुदाहृतम् ॥ ५८ ॥
 
शब्दार्थ
एतत्—यह; पय:-व्रतम्—पयोव्रत नामक अनुष्ठान; नाम—नामक; पुरुष-आराधनम्—भगवान् की पूजा विधि; परम्—श्रेष्ठ; पितामहेन—मेरे पितामह द्वारा; अभिहितम्—कही गई; मया—मेरे द्वारा; ते—तुमको; समुदाहृतम्—विस्तार के साथ वर्णित ।.
 
अनुवाद
 
 यह धार्मिक अनुष्ठान पयोव्रत कहलाता है, जिसके द्वारा भगवान् की पूजा की जा सकती है। यह ज्ञान मुझे अपने पितामह ब्रह्माजी से मिला और अब मैंने विस्तार के साथ इसका वर्णन तुमसे किया है।
 
 
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