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श्लोक 8.16.59  |
त्वं चानेन महाभागे सम्यक्चीर्णेन केशवम् ।
आत्मना शुद्धभावेन नियतात्मा भजाव्ययम् ॥ ५९ ॥ |
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शब्दार्थ |
त्वम् च—तुम भी; अनेन—इस विधि से; महा-भागे—हे भाग्यशालिनी; सम्यक् चीर्णेन—भलीभाँति सम्पन्न करने पर; केशवम्—केशव को; आत्मना—अपने; शुद्ध-भावेन—शुद्ध मन से; नियत-आत्मा—अपने को वश में करते हुए; भज—पूजा करते रहो; अव्ययम्—भगवान् की, जो अक्षय हैं ।. |
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अनुवाद |
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हे परम भाग्यशालिनी! तुम अपने मन को शुद्ध भाव में स्थिर करके इस पयोव्रत विधि को सम्पन्न करो और इस तरह अच्युत भगवान् केशव की पूजा करो। |
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