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श्लोक |
तस्या: प्रादुरभूत्तात भगवानादिपुरुष: ।
पीतवासाश्चतुर्बाहु: शङ्खचक्रगदाधर: ॥ ४ ॥ |
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शब्दार्थ |
तस्या:—उसके सामने; प्रादुरभूत्—प्रकट हुए; तात—हे राजा; भगवान्—भगवान्; आदि-पुरुष:—आदि पुरुष; पीत-वासा:— पीताम्बर धारण किये; चतु:-बाहु:—चार भुजाओं वाले; शङ्ख-चक्र-गदा-धर:—शंख, चक्र, गदा तथा कमल धारण किये ।. |
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अनुवाद |
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हे राजा! तब अदिति के समक्ष आदि भगवान् पीताम्बर वस्त्र पहने तथा अपने चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा कमल धारण किए हुए प्रकट हुए। |
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