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श्लोक 8.24.12  |
एकदा कृतमालायां कुर्वतो जलतर्पणम् ।
तस्याञ्जल्युदके काचिच्छफर्येकाभ्यपद्यत ॥ १२ ॥ |
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शब्दार्थ |
एकदा—एक दिन; कृतमालायाम्—कृतमाला नदी के तट पर; कुर्वत:—देते हुए; जल-तर्पणम्—जल का अर्घ्य; तस्य— उसकी; अञ्जलि—अंजुलि भर; उदके—जल में; काचित्—कोई; शफरी—छोटी मछली; एका—एक; अभ्यपद्यत—प्रकट हुई ।. |
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अनुवाद |
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एक दिन जब राजा सत्यव्रत कृतमाला नदी के तट पर जल का तर्पण करके तपस्या कर रहा था, तो उसकी अंजुली के जल में एक छोटी सी मछली प्रकट हुई। |
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