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श्लोक |
पत्नी विकुण्ठा शुभ्रस्य वैकुण्ठै: सुरसत्तमै: ।
तयो: स्वकलया जज्ञे वैकुण्ठो भगवान्स्वयम् ॥ ४ ॥ |
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शब्दार्थ |
पत्नी—पत्नी; विकुण्ठा—विकुण्ठा नाम की; शुभ्रस्य—शुभ्र की; वैकुण्ठै:—वैकुण्ठों सहित; सुर-सत्-तमै:—देवताओं के साथ; तयो:—विकुण्ठा तथा शुभ्र से; स्व-कलया—स्वांश से; जज्ञे—प्रकट हुआ; वैकुण्ठ:—भगवान्; भगवान्—भगवान्; स्वयम्—साक्षात् ।. |
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अनुवाद |
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शुभ्र तथा उसकी पत्नी विकुण्ठा के संयोग से भगवान् वैकुण्ठ अपने स्वांश देवताओं सहित प्रकट हुए। |
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