इन्द्र:—स्वर्ग का राजा; मन्त्रद्रुम:—मंत्रद्रुम नाम का; तत्र—छठे मन्वन्तर में; देवा:—देवतागण; आप्य-आदय:—आप्य तथा अन्य; गणा:—वह सभा; मुनय:—सप्तर्षि; तत्र—वहाँ; वै—निस्सन्देह; राजन्—हे राजा; हविष्मत्—हविष्मान् नाम का; वीरक-आदय:—वीरक तथा अन्य ।.
अनुवाद
चाक्षुष मनु के राज्यकाल में स्वर्ग का राजा मंत्रद्रुम के नाम से विख्यात था। देवताओं में आप्यगण तथा सप्तर्षियों में हविष्मान् तथा वीरक प्रमुख थे।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥