महा-इन्द्र:—स्वर्ग का राजा इन्द्र; श्लक्ष्णया—अत्यन्त विनीत; वाचा—वचनों से; सान्त्वयित्वा—बलि महाराज को अत्यधिक प्रसन्न करते हुए; महा-मति:—अत्यन्त बुद्धिमान् मनुष्य; अभ्यभाषत—सम्बोधित किया; तत्—वह; सर्वम्—सब कुछ; शिक्षितम्—जो कुछ सीखा था; पुरुष-उत्तमात्—भगवान् विष्णु से ।.
अनुवाद
अत्यन्त बुद्धिमान् एवं देवताओं के राजा इन्द्र ने बलि महाराज को विनीत शब्दों से प्रसन्न कर लेने के बाद उन सारे प्रस्तावों को अत्यन्त विनयपूर्वक प्रस्तुत किया जिन्हें भगवान् विष्णु ने उसे सिखलाया था।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥